राम मंदिर एक स्वप्न साकार।
मैं नि:शब्द हूँ, समझ में नहीं आ रहा क्या लिखूं, कैसे लिखूं कहां से शुरुआत करूं?एक सपना था जो आज सच में बदल हो गया ,
आज राम मंदिर निर्माण के पक्ष में निर्णय आ गया।
491 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद जिसमें 7 लड़ाईयां लड़ीं गईं , 134 वर्ष अदालत में सुनवाई हुई और अंततः वही हुआ जो मुण्डक उपनिषद में लिखा है यानी "सत्यमेव जयते". सत्य की जीत हुई , झूठ और प्रपंच की हार हुई।
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ram mandir temple |
यह मामला सिर्फ़ मंदिर बनानें तक का नहीं था,
यह मामला था अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के अधिकारों के पुन:जागरण का. अपनें आराध्य के पूज्य स्थान को वापिस लेना ही उद्देश्य मात्र नहीं था बल्कि उस सोच उस विचारधारा को भी नेस्तनाबूद करना था जिसनें इस सोच के तहत हमारे मंदिरों का विध्वंस किया ताकि ज़लील किया जा सके की देखो तुम्हारा भगवान खुद की रक्षा नहीं कर पाया न तुम्हारी रक्षा कर पाया।
श्रीराम सिर्फ़ हिंदुओं के ही नहीं पूरे राष्ट्र के आराध्य हैं, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण भारत में एक नए सांस्कृतिक पुन:जागरण की तरफ़ उठाया गया पहला कदम है।
श्रीराम तो हमारें आदर्श थे, हमारे आदर्श हैं और हमारे आदर्श रहेंगें।
मंडल कमीशन और उसके बाद की हुई जातिगत राजनीति नें जहां सवर्णों और दलित/ओबीसी को आमनें सामनें खड़ा कर दिया था तब पूरे हिंदू समाज को एकसूत्र में बांधने का काम श्रीराम ने किया।
अगणित बलिदानों, अगणित लोगों के संघर्षों और अगणित लोगों के योगदानों के बाद आज यह स्वप्न साकार रूप ले पाया है।
एक एक व्यक्ति का छोटेसे छोटा योगदान भी आज अभिनन्दन का पात्र है, उनका ऋण चुकाया नहीं जा सकता!
लेकिन अब आवश्यकता है श्रीराम के रामराज्य को चरितार्थ करनें की जिससे सम्पूर्ण सृष्टि सुख-शांति की स्थापना हो और अधर्म का नाश हो।
श्रीराम जय राम जय जय राम!!!
सियावर रामचंद की जय!!!
पवनसुत हनुमान की जय!!!
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